Friday, 21 July 2017

अपने ही मन से राम को भुलाय के सजा पइहो मनवा हरी विश्राय के Apne hi man se ram ka Bhakti Lyrics



अपने ही मन से राम को भुलाय के-२ 

सजा पइहो मनवा हरी विश्राय के-२ 


गर्भ में पहिले कौल करि आयए 

यहाँ पर आके प्रभु को भुलाये 
गर्भ में पहिले कौल करि आयए 
यहाँ पर आके प्रभु को भुलाये
भूल गइले प्राणी प्रभु को माया में फसाय के-२
सजा पइहो मनवा हरी विश्राय के-२ 


स्वास का पंछी जबहि उड़ जइहै 

तो खली पिजरा परा रही जइहै 
स्वास का पंछी जबहि उड़ जइहै 
तो खली पिजरा परा रही जइहै 
ले जावे घरके तेरे कंधे पे उठाय के-२
सजा पइहो मनवा हरी विश्राय के-२ 


लकडिया चुन-चुन सेज सजवहय

ताहि पे तुहका ढंग से लेटाइहय 
लकडिया चुन-चुन सेज सजवहय
ताहि पे तुहका ढंग से लेटाइहय
फूक देइहय देहिया तोहरी अगिया लगाय के-२
सजा पइहो मनवा हरी विश्राय के-२ 


अपने ही मन से राम को भुलाय के-२ 

सजा पइहो मनवा हरी विश्राय के-२ 

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