एक दिन मटिया में सबही के सिंगार होइ
जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ - ३
(१)
नाती नाते दार, काम नहीं अइहय
गाँव के लोगवा सब खड़े रही जईहय - २
केवल भाई भतीजे सब कहार होइ - २
जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ - २
(२)
महल औ अटारी सब हिये रही जावेगो - २
धन औ दौलत कोउ साथ नाहीं जावेको
केवल दु गज का कपड़ा बहार होइ
जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ - २
एक दिन मटिया में सबही के सिंगार होइ -२
जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ - २
(३)
चार कहार मिल लइके चलय डोली -२
राम नाम की बोलत बोली -२
तोहरे जीवन की बगिया में उजार होइ -२
जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ - २
(४)
कहत कबीर सुनो भाई सब जन -२
राम नाम का कर लो सुमिरन -२
तोहरे जीवन में एक दिन बहार होइ -२
जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ - २
एक दिन मटिया में सबही के सिंगार होइ -२
जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ - ३
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